Monday, May 26, 2025

कठपुतलियों के भाव

कठपुतलियों के अनेक भाव,
जो वह स्पष्ट न कर पाते दिन-रात
धागों से बंधे है हाथ-पांव 
आज़ाद रहना चाहते है दिन-रात
कठपुतलियों के अनेक भाव।
कहते है धागें तोड़ो,
हम नाचेंगे और गाएँगे,
हर घर में होगी आज़ादी की बात,
कठपुतलियों के अनेक भाव।
हमें मेलो में नचाते है,
अनेक बातें बुलवाते है,
हम न कुछ कह पाते है,
पर अनेक भाव हमारे है।
सब कठपुतलियाँ बेबस है,
कब अपने पैरों पर चलेगी।
उस दिन तो होगी आज़ादी की बात,
कठपुतलियों के अनेक भाव।

दिया
सातवीं बी

Tuesday, May 20, 2025

आईना

मैंने एक दिन ख़ुद को आईने में देखा
आईने ने कहा , तू है इक कठपुतली

जैसे कठपुतली को नचाते है अंगुलियों पर
तू कब तक नाचेगी, लोगों के डर पर

मैंने किया सवाल , आईने में खड़े उस इन्सान से,
मैं सही हूँ या हूँ ग़लत, बताना इत्मीनान से 

आईने से आवाज़ आई, नहीं थी तू सही कभी
तुझे ख़ुद को है सँवारना, तो सँवारना है अभी 

ये सोचते सोचते मेरी आँख लगी,
तभी मेरे मन की आँख खुली 

ना दिखने वाली रस्सियों  से बंधे है,  ना जाने कितने ही इंसान
रहम करो तुम उन पर , मत करो परेशान
उन रस्सियों को तुम तोड़ दो , 
उनको उन्हीं के हाल पर  छोड़ दो 

जीने दो ज़िंदगी, उनको अपने ही अन्दाज़ से 
उड़ने दो उन परिंदों को, खुले आसमान में

एक पल में आईना मुझे, कितना कुछ बता गया
‘अनुष्का’ को ज़िंदगी जीने की, नई राह दिखला गया ……


Anushka
VII B
SHIPS

कठपुतलियों के भाव

कठपुतलियों के अनेक भाव, जो वह स्पष्ट न कर पाते दिन-रात धागों से बंधे है हाथ-पांव  आज़ाद रहना चाहते है दिन-रात कठपुतलियों के अनेक भाव। कहते ह...